“ निंदक नियरे राखिए ……”
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल “
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खुलके हमारी खामियों को
कोई कहता है !
हमारी गलतियों को कोई
सामने लाता है !!
हम बौखला जातें हैं
लगता है कोई नया
दुश्मन निकल आया है ,
उसकी तस्वीर भी बुरी
लगने लगती है !
उससे किनारा हम कर लेते हैं !
नसीहत ,आदर्श और सुझाव
बचपन में
बच्चे भी मान लेते हैं !
पर बड़े होकर
उनके भी पर निकाल
पड़ते हैं !!
माँ -बाप की भी बातों को
बुरा मान लेते हैं !
लेख ,आलेख , व्यंग
और कविताओं में
हमें सारी बातें मिल जातीं हैं !
पर दुर्भाग्य है हमलोगों का
ये बातें सब की सब
सर के ऊपर से गुजर जातीं हैं !!
अपनी प्रतिक्रियाओं के माध्यम
से सब कोई ना कोई
कहता रहता है !
पर सैकड़ों में एक दो
सकारात्मक लोगों के ही
पल्ले यह पड़ता है !!
ब्लॉक और डिलीट तो
सोशल मीडिया में
छा गए हैं !
अब तो अपने बच्चों
और सगे -संबंधियों
में भी ये रोग लग गए हैं !!
कविताएं कबीर की तो सब
दुहराते हैं —
“ निंदक नियरे राखिए …”
पर अपनाने से इसे
लोग सदा कतराते हैं !!
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डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
साउन्ड हेल्थ क्लिनिक
एस 0 पी 0 कॉलेज रोड
दुमका
झारखण्ड
भारत