नारी
मत मुझे जान तू
कि मैं अबला हूँ
ना ही मुझे अकिंचन
समझ लेना तू
ना ही किसी के सहारे हूँ
ना किसी से भयभीत हूँ मैं
ना मुझे बेसहारा
समझ लेने की गलती करना तू
अपने कंधों पर दुनिया उठाये
खुद के पैरों में खड़ी हूँ मैं
आज हर जगह हूँ मैं
किसी से नही डरी हूं मैं
®आकिब जावेद