नारी
सुबह की किरन से पहले
धरती को जो चमकाए,
हाथों से मोती बिखेरने
वह दौड़ी चली आए;
भाग बनाए वह सबके
और दबी कुचली जाए,
दिखावा झूठी हमदर्दी की
हरपल उसे सभी दिखाए;
अपना हो या पराया
सब पर वह वारी जाए,
भगवान को भी जनी जिसने
जग में वह नारी कहलाये।