*नारी सत्य शक्ति है*
नारी शक्ति विराट है,अद्वितीय शिव ओज।
दिव्य बीज य़ह सृष्टि में,करना इसकी खोज।।
य़ह है हार्दिक विषय मधु,वस्तु भव्य रसखान।
दिव्य दैव सौभाग्य य़ह,स्तुत्य मनोरम ज्ञान।।
आदि शक्ति लक्ष्मी सहज,यही सरस्वति धाम।
तीन लोक में गूँजता ,नारी का शुभ नाम।।
झुकता सारा जगत है,देख नारि का रूप।
चमक रहा त्रैलोक्य है,नारी भव्य स्वरूप ।।
नारी के सम्मान से,बढ़ता अपना मान।
नारी देती आ रही,सकल लोक को ज्ञान।।
जो नारी को पूजता,वही बड़ा विद्वान।
मस्तक पर नित लालिमा,वही विज्ञ धनवान।।
नारी को पहचान लो,नारी दिव्य निदान।
जो नारी को जान ले,वह उत्तम श्रीमान।।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।