***नारी शक्ति ***
? ॐ श्री परमात्मने नमः ?
*महिला दिवस *
विषय ;- नारी शक्ति
ईश्वर की सृष्टि रचना में सम्पूर्ण प्राणियों की उत्पत्ति हुई उनमें से एक चमत्कारिक रूप नारी शक्ति का है शक्ति का तात्पर्य – अदम्य साहसिक कार्यों का योगदान जो यह सूचित करता है कि धर्म व सँस्कृति में भले ही पुरुषों का वर्चस्व है लेकिन सच्चाई वास्तव में यह है कि नारी शक्ति का अंदाजा लगाना मुश्किल है।
वेदों में नारी को सर्वोच्च स्थान दिया गया है
नारी व पुरुष दोनों के आत्मिक बलों द्वारा ही अपूर्ण जीवन को संपूर्णता की ओर ले जाते हैं जैसे – पँछी के दो पंखों की तरह से ,रथ के दो पहिये की तरह से नर – नारी जीवन शक्ति से स्थिरता लिये सृष्टि रचना चलती रहती है।
नारी के अनेक रूपों में शक्तियों का गुणगान किया जाता है कार्यक्षमता से परिपूर्ण विभिन्न स्थानों में अलग अलग रूपों में प्रगट होती हैं जैसे – आदर्श माँ , भगिनी, पत्नी ,सती, त्यागमयी , सेवामयी, बलिदान मयी, वीरांगना, लोक हितैषनी , राजनितिक ,गृहिणी , पतिव्रता, आदि निर्माण कार्यों में जितनी तालीम दी जाती है बहुत कम ही है।
नारी चाहे बालिका ,युवती या बुजुर्ग ही क्यों ना हो उन्हें घर के बहुत से कार्यों को करने की आजादी नही मिलती है लेकिन वर्तमान स्थिति में नारियां पुरुषों से कंधों से कंधा मिलाते हुए सभी क्षेत्रों में आगे बढ़ते जा रही हैं कोई भी ऐसा कार्य अछूता नहीं रहा है ।
बाल्यावस्था में पिता के अधीन होकर युवा अवस्था में पति के वश में और यदिअचानक पति की मृत्यु हो जाय तो पुत्रों एवं बच्चों के अधीन रहती है – वह कभी भी स्वछंदता आश्रय नहीं ले सकती है।नारी स्वतंत्र होने पर भी कहीं पर सुरक्षित नहीं है अनेक प्रकार के दोष उत्तपन्न हो जाते हैं ।
अगर हम गहराई से सोचें तो नारी शक्तिशाली होते हुए वह सुरक्षित न होते हुए भी पिता व पति दोनों के कुल को तारती है।
नारियों में देवत्व शक्तियाँ विधमान है फिर भी अपने जीवन को अनेकों रूपों में समेटे हुए आगे ही बढ़ते ही जा रही है।
यत्र नार्यस्तु पूज्यते रमन्ते तत्र देवता याने जहां नारी की पूजा होती है वहां पर देवताओं का वास होता है ।
***गृहस्थ जीवन में रहते हुए भी नारियां एक दूसरों की भावनाओं की कद्र करते हुए सदैव कर्तब्य पालन करते हुए सहयोग की भावना दिल में लिए हुए रहती है।
*नारी का सौभाग्य ,स्वाभिमान, सम्मान करते हुए वर्तमान स्थिति में महिला दिवस के रूप में अमृत कलश की स्थापना लिए परिपूर्णता की ओर अग्रसर है।
*नारी का उत्तरदायित्व केवल घरेलू कार्यों को संभालने ,परिवार व बच्चों तक सीमित न होकर बाहर निकल कर वर्तमान स्थिति को समझें ,जानें, पहचानें ,ताकि खुद भी नये माहौल में ढलकर अपने भीतर संजोए हुए सपनों को हकीकत में अंजाम देकर नई दिशाओं में कदम बढ़ाते हुए नारी सशक्तीकरण में योगदान देते हुए असली सम्मान का हकदार बनें ……! ! !
सभी क्षेत्रों में जिम्मेदारियों को निभाते हुए नारी शक्ति महानता का प्रतीक मानी जाती है।
* राधैय राधैय जय श्री कृष्णा *
***शशिकला व्यास **
#* भोपाल मध्यप्रदेश #*