नारी शक्ति
कविता
ब्रह्मा विष्णु देव महेश
आदि शक्ति उपजाए।
सृष्टि संचालन के लिए
शक्ति माँ ने अजमाए ।
सौप सृष्टि सृजन भार
स्वयं नारी रूप लिया ।
लक्ष्मी शिवा व ब्रह्माणी
रूपों में अवतार लिया ।
अपने अंश रूप में माता
जग की नारी बन आयी।
जग विस्तार हित कामना
हर नारी के मन समायी।
शक्ति रूपा नारी तबसे
निभा रही दायित्व को।
विविध रूप में शोभा पाती
सुरम्य बनाती सृष्टि को।
बेटी पूजित कन्या देवी
पत्नी गृहलक्ष्मी कहताती।
माँ रूप आदि शक्ति ही
वात्सल्य स्नेह लुटाती।
शक्ति रूपा नारी जीवन
नारी ही शक्ति रूपा है ।
वेदों का आराधन नारी
हर नारी देवी दुर्गा है ।
जिस घर पूजित होती नारी
देव वहाँ पर बसते हैं ।
अपमानित करने वालों घर
दैत्य बसेरा करते हैं ।।
राजेश कौरव सुमित्र