*”नारी शक्ति’*
“नारी शक्ति”
ईश्वर की सृष्टि रचना में,
सृजन करते चमत्कार लिए।
साक्षी भाव से प्रगट हो ,
नई चेतना का संचार लिए।
ममता त्याग की मूर्ति बनके,
नारी शक्ति सागर समुंदर लिए।
स्नेह सुधा रस बरसाते हुए,
अदम्य साहस सहनशीलता लिए।
संपूर्ण जीवन दायिनी हो,
जीती जागती मिसाल लिए।
आदर्श माँ ,बहू बेटी,पत्नी ,
भगिनी नव रूप अवतार लिए।
धरती पर अवतरित हुई हो ,
नारी शक्ति का आगाज लिए।
स्नेहिल स्पर्श जादू सा बिखेरे,
स्वछंद हवाओ में खुशबू लिए।
घर आँगन ,की बगिया मनमोहक,
सुरभित मन हो आनंद लिए।
तुम ही लक्ष्मी , कालीमाता ,दुर्गा,
सरस्वती स्वरूप अवतार लिए।
दो कुलों की मान मर्यादा तुम हो,
देश की आन बान शान लिए।
आधुनिकता की दौड़ में खरे उतरते,
उम्मीदों की बुनियाद लिए।
“यत्र नार्यस्तु पूज्यते रमन्ते तत्र देवता’