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नारी तू पृथ्वी की धुरी है
नारी तू जग की संचालिका है।
नारी तू संस्कृति की संवाहिका है।
नारी तू सभ्यता की समृद्धिका है।
नारी तू समाज की संयोजिका है।
नारी तू परिवार की संवृद्धिका है।
नारी तू मानव की सृजिका है।
नारी तू संतान की सेविका है।
नारी तू बालक की संरक्षिका है।
नारी तू पुरुष की सहचारिका है।
नारी तू नर की सहयोगिका है।
नारी तू पुरुष की निहारिका है।
नारी तू पुरुष जीवन की सुगंधिका है।
नारी तू परिवार की सुख समृद्धिका है।
नारी तू घर भर की परिचारिका है।
नारी तू परिवार की संवृद्धिका है।
नारी तू परिवार की मार्गदर्शिका है।
नारी तू विश्व की समन्वयिका है।
नारी तू संसार की पथ प्रदर्शिका है।
नारी तू ब्रह्माण्ड की संचालिका है।
नारी तू सृष्टि की निर्माणिका है।
तन मन धन से पूर्णतः समर्पित है नारी।
किन्तु वह न निरीह है न है कोई लाचारी।
यदि उसको किया गया दुखी और त्रस्त।
तो उसने प्रयुक्त कीं अपनी शक्तियां सारी।
और संसार से दुष्टों की सारी दुनिया संहारी।
—रंजना माथुर दिनांक 07/10/2017
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
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