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9 Sep 2024 · 1 min read

#नारी तू नारायणी

#विषय नारी तू क्यों अभागी
#विद्या कविता
#दिनांक ०९/०९/२०२४

हे नारी तू नारायणी
हम सब की तू जीवनदायिनी
करते रहे अत्याचार तुझ पर
एक लाचार अबला समझकर !

उफ..न किया फिर भी तुमने
दर्द को पिया अमृत समझ कर
गुनाहों को हमारे बक्श दिया
भटका हुआ मासूम समझकर !

ना हालात तुमको तोड़ पाए
ना वक्त की मार झकझोर पाई
अपनों के दिए हुए जख्म भी
अपना लिए प्यार समझ कर !

क्या कहना जमाने की बेरुखी का
वक्त क्या बदला मुंह फेर लिया,
उन लोगों ने खेले जो तेरी गोदी में !

बेचैन था जमाना बर्बादी पर
जश्न मनाये, तू तो नारायणी जो
ठहरी,नारायण से तेरी प्रीत गहरी
लाज रख ली तेरे सम्मान की !

स्वरचित मौलिक रचना
राधेश्याम खटीक
भीलवाड़ा राजस्थान

Tag: Poem
1 Like · 2 Comments · 60 Views
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