नारी (कुंडलिया)
नारी (कुंडलिया)
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नारी को नर से मिला ,कभी प्रेम – वरदान
कभी मिला अभिशाप भी ,वहशी सिर्फ निशान
वहशी सिर्फ निशान ,वासना जब चढ़ जाती
बनता पुरुष पिशाच ,देख उसको घिन आती
कहते रवि कविराय , वेदना समझो भारी
नर के रहती बीच , कीच को सहती नारी
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451