नाम उसने कर दिया बदनाम मेरा आदतन
देखकर किरदार मेरा काम मेरा आदतन
नाम उसने कर दिया बदनाम मेरा आदतन
मैंने तो इतना कहा था दिल का हीरा पास है
कह दिया उसने सभी से दाम मेरा आदतन
ख़ूब गप्पे यूँ गुज़ारी शाम उसके साथ में
मिल गया उसको कहीं हमनाम मेरा आदतन
नाम लेना तू न मेरा हर किसी के सामने
मुंँह से निकला फिर भी उसके नाम मेरा आदतन
तू न जाना भेज देना प्यार का संदेश इक
ख़ुद दिया जाकर के है पैग़ाम मेरा आदतन
दोष साबित हो न पाया थी गवाही भी नहीं
इस तरह झूटा हुआ इल्ज़ाम मेरा आदतन
बात बेबुनियाद सारी कुछ हक़ीक़त भी नहीं
लिख दिया काग़ज़ पे फिर अन्जाम मेरा आदतन
देखकर मुस्कान बच्चों के लबों पर इस दफ़अ
मिल गया उस पल मुझे ईनाम मेरा आदतन
जबकि तू ‘आनन्द’ है लेकिन मज़े में तो नहीं
रख दिया क्यूँकर यही उपनाम मेरा आदतन
डॉ आनन्द किशोर