नाटकों में राजा रानी हो गये
नाटकों में राजा रानी हो गये
वो समझते खानदानी हो गये
जी न पाते हम तुम्हारे बिन यहां
खत पुराने ज़िंदगानी हो गये
बेवफ़ाई ने दिये थे जख्म जो
वो मुहब्बत की निशानी हो गये
राज तन मन पर करे ये रात दिन
दर्द की हम राजधानी हो गये
जब लगाया दुश्मनों को बढ़ गले
उनके चेहरे पानी पानी हो गये
‘अर्चना’ ने देखे थे सपने कभी
हाय, वो भी इक कहानी हो गये
20-12-2017
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद