नाचना सबको पड़ता है
नाचना सबको पड़ता है
नाचते हैं सब
कोई नाचता है
होशो-हवास में
तो कोई होशो-हवास
गवां के नाचता है
कोई मन से नाचता है तो
किसी को जबरन
नचाया जाता है
कोई लय में नाचता है
कोई लय तोड़ के नाचता है
कोई धुन पर नाचता है
कोई उंगली पर नाचता है
वो उंगली हो सकती है
बॉस की
धर्मगुरु की
राजनेता की
किसी परिजन की
किसी प्रियजन की
यहाँ नाचना
सबको पड़ता है
कोई इच्छा से नाचता है
कोई अनिच्छा से नाचता है
नाचना सबको पड़ता है
-विनोद सिल्ला©