Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Apr 2023 · 1 min read

*नहीं चाहता जन्म मरण का, फिर इस जग में फेरा 【भक्ति-गीत】*

नहीं चाहता जन्म मरण का, फिर इस जग में फेरा 【भक्ति-गीत】
■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■
नहीं चाहता जन्म-मरण का, फिर इस जग में फेरा
(1)
इस धरती का क्या आकर्षण ,बीमारी हैं भारी
कदम-कदम पर मौत कर रही, आने की तैयारी
कण-भर भी कुछ नहीं कहीं है, जिसको कह दूँ मेरा
(2)
यह कैसे संबंध सुखद, लगते पर दुख ही देते
चार दिवस के संग, मोड़-मुख परम मित्र भी लेते
चहल-पहल से मस्त दिखा, शमशानों का अंधेरा
(3)
कठपुतली की तरह बनाए, तुमने जग में मेले
रचे भाग्य में खेल-खिलौने, जैसे प्राणी खेले
सबको सीमित मिला कर्म का, बस छोटा-सा घेरा
(4)
बहुत हुआ अब मुझको अपने, आश्रय में ले आओ
आवागमन-चक्र में प्रभु जी, अब मत और थकाओ
कृपा करो हे नाथ ! मुझे दो, उज्ज्वल नया सवेरा
नहीं चाहता जन्म मरण का फिर इस जग में फेरा
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

337 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
💐प्रेम कौतुक-380💐
💐प्रेम कौतुक-380💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
मिलना हम मिलने आएंगे होली में।
मिलना हम मिलने आएंगे होली में।
सत्य कुमार प्रेमी
*🔱नित्य हूँ निरन्तर हूँ...*
*🔱नित्य हूँ निरन्तर हूँ...*
Dr Manju Saini
वक्त के इस भवंडर में
वक्त के इस भवंडर में
Harminder Kaur
ऐसा क्यों होता है
ऐसा क्यों होता है
रोहताश वर्मा 'मुसाफिर'
कविताश्री
कविताश्री
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
फागुन
फागुन
पंकज कुमार कर्ण
*खिलती उसकी जिंदगी , पाई जिसने हार (कुंडलिया)*
*खिलती उसकी जिंदगी , पाई जिसने हार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
मेरे पापा
मेरे पापा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
समय पर संकल्प करना...
समय पर संकल्प करना...
Manoj Kushwaha PS
कलयुग मे घमंड
कलयुग मे घमंड
Anil chobisa
296क़.*पूर्णिका*
296क़.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कुछ इस तरह टुटे है लोगो के नजरअंदाजगी से
कुछ इस तरह टुटे है लोगो के नजरअंदाजगी से
पूर्वार्थ
महापुरुषों की मूर्तियां बनाना व पुजना उतना जरुरी नहीं है,
महापुरुषों की मूर्तियां बनाना व पुजना उतना जरुरी नहीं है,
शेखर सिंह
* विजयदशमी मनाएं हम *
* विजयदशमी मनाएं हम *
surenderpal vaidya
जीवनसाथी
जीवनसाथी
Rajni kapoor
समझे वही हक़ीक़त
समझे वही हक़ीक़त
Dr fauzia Naseem shad
शिव स्तुति
शिव स्तुति
Shivkumar Bilagrami
गुलाब के काॅंटे
गुलाब के काॅंटे
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
■ क़तआ (मुक्तक)
■ क़तआ (मुक्तक)
*Author प्रणय प्रभात*
संत गाडगे संदेश 5
संत गाडगे संदेश 5
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
पैगाम
पैगाम
Shashi kala vyas
कभी रहे पूजा योग्य जो,
कभी रहे पूजा योग्य जो,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
मेरा कल! कैसा है रे तू
मेरा कल! कैसा है रे तू
Arun Prasad
अपने हक की धूप
अपने हक की धूप
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
कौन?
कौन?
निरंजन कुमार तिलक 'अंकुर'
*सेब का बंटवारा*
*सेब का बंटवारा*
Dushyant Kumar
भोले नाथ है हमारे,
भोले नाथ है हमारे,
manjula chauhan
बन्दे   तेरी   बन्दगी  ,कौन   करेगा   यार ।
बन्दे तेरी बन्दगी ,कौन करेगा यार ।
sushil sarna
"अमर रहे गणतंत्र" (26 जनवरी 2024 पर विशेष)
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
Loading...