नसीब हो कोई छत, आसमाँ मिले सबको
यही दुआ है मुकम्मल जहाँ मिले सबको
नसीब हो कोई छत, आसमाँ मिले सबको
बड़े उदास बुझे चेहरे हैं शहरों के
ख़ुलूस गांव का ही कुछ यहाँ मिले सबको
यही दुआ है मुकम्मल जहाँ मिले सबको
नसीब हो कोई छत, आसमाँ मिले सबको
बड़े उदास बुझे चेहरे हैं शहरों के
ख़ुलूस गांव का ही कुछ यहाँ मिले सबको