नशीब सबका अपना-अपना
ये मौज-मस्ती
ये आवारा-गर्दी
मिलके हंसना
और अकेले में रोना
किसी को मिलता
कोई छूट जाता
है सभी का
नसीब अपना-अपना..।
जो मिला है मुझको
मैं लायक था उसी के
जो मिला है तुमको
तुम हकदार थे उसके
अब क्या रोना
और क्या हंसना
बस यही है जीवन
सभी अपना-अपना..।।।
है वक्क्त कि दौड़ ये
किसी की रफ्तार ज्यादा
कोई चलता धीमे-धीमे
मुश्किलें है सभी की राहों में
कहीं गड्ढे कम
कहीं पहाड़ ज्यादा
कही बिछे है फूल
तो कहीं सूल ज्यादा
है लक्ष्य एक ही
पुनः सभी को वहीं है मिलना..
बस यही है जीवन,
सभी का अपना-अपना