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31 Dec 2024 · 1 min read

नव वर्ष 2025 की हार्दिक बधाई और हार्दिक शुभकामनाऐं

नव वर्ष 2025 की हार्दिक बधाई और हार्दिक शुभकामनाऐं

दोहा पंचक . . . . शीत

ओढ़ चदरिया ओस की, शीत हुई घनघोर ।
बिना दिवाकर लग रही, ठिठुरी- ठिठुरी भोर ।।

थमा-थमा सा शीत में , है चिड़ियों का शोर ।
ठंडी-ठंडी लग रही , भोली -भाली भोर ।।

रवि किरणें ओझल हुई, छुपी धुंध में धूप ।
हाड कपाती शीत ने, छीना इसका रूप ।।

दर्शन दुर्लभ हो गए, कहीं गई रे धूप ।
घनी धुंध ने शीत में, छीना इसका रूप ।।

लगे तीर सी शीत में, शीतल तीव्र बयार ।
इसके आगे तो गए, शाल रजाई हार ।।

सुशील सरना / 31-12-24

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