#नवोदयन गीत
अर्कान– मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन
बह्र– बह्रे-हज़ज मुसम्मन सालिम
वज़्न – 1222 1222 1222 1222
इस बह्र पर गुनगुनाने के लिए गीत
बहारों फूल बरसाओ मेरा मेहबूब आया है
मुझे तेरी मुहब्बत का सहारा मिल गया होता
चलो इक बा/र फिर से अज/नबी बन जा/यें हम दोनों
ख़ुदा भी आ/समां से जब/ज़मीं पर दे/खता होगा
सजन रे झू/ठ मत बोलो/ख़ुदा के पा/स जाना है
छुपाना भी/नहीं आता/जताना भी/ नहीं आता
हमें तुमसे/मुहब्बत है/ बताना भी/ नहीं आता
#नवोदयन गीत
नवोदय के सितारे हम नयी पहचान भारत की
नये सुर हैं नये संस्कार हम हैं शान भारत की
दिलों में प्यार का सागर विचारों में खुला अंबर
मनों की भेद से दूरी नज़र में मेल का मंज़र
क़दम रखदें जहां ऊंची वहीं हो आन भारत की
नये सुर हैं नये संस्कार हम हैं शान भारत की
हमीं वो फूल जो खिल-खिल महक भरते ज़माने में
हमीं वो गीत जो पल-पल सुने जाते ज़माने में
हमीं शीतल पवन-झौंके हमीं हैं तान भारत की
नये सुर हैं नये संस्कार हम हैं शान भारत की
उमंगों की रवानी में इबारत लिख नयी चलते
तरंगों की कहानी में कवायद रच नयी चलते
यही फितरत बने मनहर जवां मुस्क़ान भारत की
नये सुर हैं नये संस्कार हम हैं शान भारत की
#आर.एस. ‘प्रीतम’
सर्वाधिकार सुरक्षित सृजन