नववर्ष की बधाई
नववर्ष की बधाई
जब नववर्ष की दी बधाई,
मुंह बिचकाया एक मित्र ने।
पाश्चात्य पर्व है इसे छोड़ो,
यूँ बतलाया उस मित्र ने|
मैंने कहा सुबह-सुबह जो,
चाय की चुस्की लेते हो।
क्या उस पाश्चात्यपेय को भी,
आप स्वदेशी पेय कहते हो।
टांगों में पहनी पतलून अंग्रेजी,
गले में चमक रही टाई है।
सब सच-सच बतलाना मित्र,
ये वेश-भूषा कहाँ से आई है।
जब वर्षगाँठ हो शादी की तो,
केक काटते हो बाबू जी।
जन्मोत्सव पर हैप्पी बर्थ डे,
किस धुन पे नाचते हो बाबू जी।
टिकट, मोबाइल, कम्प्यूटर की,
हिंदी तो मुझे बताओ जी।
पाश्चात्य भाषा इंग्लिश माध्यम,
बच्चों को न पढ़ाओ जी।
फिर सकपका कर लगा कहने,
की कबूल आपकी बधाई है।
नव-वर्ष पाश्चात्य पर्व है,
कुछ धर्मांधों ने बताई है।
विनोद सिल्ला वसुधैवकुटंबकम,
कहाँ उलझे हुए हो बाबू जी।
छोड़ो धर्मांधों की बातें,
आप सुलझे हुए हो बाबू जी।
-विनोद सिल्ला©