” नये साल में पुराने की टीस “
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
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लोग कहते हैं
कि भूल जाओ बीते लम्हों को ,
नए सालों में भी
अब तुम कोई नया गीत गा लो !
पीछे मुडके भला
कोई देखे यूँ गहराईयों को ,
आगे चलके तुम्हें
छूना है पर्वतों की उचाईयों को !!
पर कुछ मंजरों
को भला हम भूल कैसे जायेंगे ,
बुनयादी बातों की
टीस को हम कैसे सह पाएंगे !
किये थे लाख वादे
हमसे कि ‘अच्छे दिन ‘लायेंगे ,
“महंगाई नियंत्रण ”
और लोगों को काम दिलाएंगे !!
अपनी बातों से हम
लोगो को मंत्रमुग्ध करने लगे ,
हम फिर सपनों के
महल में चैन की नींद सोने लगे !
नयी योजनाओं की
बोली राजनेता मंच से करने लगे ,
हमें सर्दिओं में
निर्वस्त्र करके ठिठुरते छोड़ गए !!
हम कैसे भूले नारी के
सम्मानों में कुछ कर ना सके ,
भीड़ तंत्र के कहरों को
हम ना समाज में रोक सके !
देशद्रोह के इल्जामों से
लंकेश को भी नहीं बच सकी ,
दाभोलकर के हत्यारों को
पुलिस तंत्र भी ना ढूढ सकी !!
स्वर्णिम इतिहासों को
पढ़कर हम गर्व से सर उठाते हैं ,
काले इतिहासों से
अपने विश्व में हम बौने हो जाते हैं !
क्यूँ ना दुःख के काली
रातों को भूलके आगे चलते हैं ,
पर उन नासूरों को
हम जन्म -जन्म तक ढोते रहते हैं !!
लोग कहते हैं कि
भूल जाओ बीते लम्हों को ,
नए सालों में भी अब
तुम कोई नया गीत गा लो !
पीछे मुडके भला
कोई देखे क्यूँ गहराईयों को ,
आगे चलके तुम्हें
छूना है पर्वतों की उचाईयों को !!
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डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
एस ० पी ० कॉलेज रोड
दुमका
झारखण्ड
भारत