नया दौर ( छोटी कहानी )*
नया दौर ( छोटी कहानी )*
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“इस बार की महिला क्लब की मीटिंग गूगल मीट पर रख लेते हैं ।”जब सरिता ने यह बात कही तो उर्मिला देवी उखड़ गईं । कहने लगीं ” हमसे गूगल मीट चलाना नहीं आता । फिर हम तुम्हारी मीटिंग में भाग कैसे ले पाएँगे ? ”
“अरे दीदी ! गूगल मीट में कुछ भी मुश्किल नहीं है । बस थोड़ा सा आप करेंगी और फिर करने लगेंगी।”
” नहीं भैया ! मुझसे नहीं हो पाएगा। मुझे जोड़ना है तो पहले की भाँति व्हाट्सएप समूह में चैटिंग ही करते रहो ।”-कहकर उर्मिला देवी घर के कामों में हाथ बँटाने के लिए मोबाइल से उठ कर चली गईं।
घर का काम करते समय भी वह स्वयं से प्रश्न कर रही थीं- ” अब इस उमर में क्या मैं गूगल मीट भी सीखूँ? न मुझसे यह नहीं हो पाएगा और कौन मुझे सिखाएगा ?” तभी उनकी इस बड़बड़ाहट को उनकी पोती सुलेखा ने भंग किया । “क्या बात है दादी ! इतनी परेशान क्यों लग रही हो ?”
“अरे बेटी ! अब इस उम्र में क्या मैं गूगल मीट सीखूँ?” उर्मिला देवी के इतना कहते ही सुलेखा खिलखिला कर हँस पड़ी- “इसमें क्या मुश्किल है दादी ? आपने अपने पुराने फोन को इस स्मार्टफोन में कितनी मुश्किल से बदला था ? आपने हमेशा यही कहा कि.यह स्मार्टफोन मुझसे नहीं चल पाता । मैं तो अपने पुराने फोन से ही खुश हूँ। लेकिन क्या आप आज इस स्मार्टफोन के बजाए अपने पुरानी फोन में फिर से जाना पसंद करेंगी?”
उर्मिला देवी सोच में पड़ गईं। “बात तो ठीक कहती है तू गुड़िया ! सचमुच मुझे तो स्मार्ट फोन की घंटी बजते ही डर लगने लगता था । कैसे बात करूं ,टच करके कहाँ उँगली घूमाओ ! पुराना फोन कितना अच्छा लगता था ! लेकिन बेटे -बहू ने कह – कह के मुझे नया स्मार्टफोन दे ही दिया और फिर व्हाट्सएप भी मेरे फोन पर डलवा दिया । शुरू में तो मैंने मना किया था कि मैं व्हाट्सएप और फेसबुक कैसे चला पाऊँगी। मगर अब तो इस में बड़ा आनंद आता है । एक अच्छी – खासी दुनिया जुड़ गई है । ”
“बस तो दादी ! ऐसे ही आप गूगल मीट को भी अपना लेंगी। मैं आपके फोन में गूगल मीट इंस्टॉल कर दूँगी ।बाकी सब आप सीख जाएँगी।”
सुनकर उर्मिला देवी की आँखों में चमक आ गई ।उनके मन में उत्साह जगने लगा। उन्होंने फुर्ती के साथ दौड़ कर स्मार्ट फोन पर व्हाट्सएप खोला और बोल कर लिख दिया ” मैं गूगल मीट में भाग लूँगी।”
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लेखक : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99976 15451