नन्हें बच्चे
नन्हें बच्चे
-विनोद सिल्ला
अक्सर
मुख्यद्वार के नजदीक
बैठा रहता है
चिड़ियों का जोड़ा
जिन्होंने अंदर लॉबी में
बना रखा है घोंसला
इनकी चीं-चीं
इनकी फर्र-फर्र
है कर्णप्रिय
लगाए रहते हैं रौनक
छोटे बच्चों की माफिक
जो बहलाते हैं
हमारा मन
मेरी जीवन संगिनी
इनकी बीठें देख
नहीं होती नाराज
कर देती हैं इन्हें माफ
नवजात शीशु की भांति
हैं भी तो ये
बिल्कुल नन्हें बच्चे से