नन्ही उम्मीद
नन्ही उम्मीद
तेरी नज़र की शोखियाँ कुछ
हम पर ऐसा असर करती है।
मैं कुछ कहता नही फिर भी
नन्ही उम्मीद रोज पलती है।।
छटा सुंदर मन अच्छादित है।
दिल प्रफुल्लित आंनदित है।
महक बन फ़िजा में जो मिले
दिन ढ़ला फिर भोर उदित है।
नन्ही सी जान की ज़िद थी
छोटी सी नन्ही उम्मीद थी
जिसके लिए पागल रहती वो
मैं इस्बात की चश्मदीद थी।।
©® प्रेमयाद कुमार नवीन
जिला – महासमुन्द (छः ग)