नज़्म-ए-अंजुमन हो तुम
नज़्म-ए-अंजुमन हो तुम
बला की खूबसूरत, फुर्सत में तराशी *तसव्वुर हो तुम,
मेहरबां होकर, खुदा की बक्शी *तबस्सुम# हो तुम।।
ये भी सच है, शाम -ए- किरण, दिल-ए-अज़ीज़ भी हो तुम,
खौफ-ए-खुदा देखो ज़रा, ना पढ़ सके नज़्म-ए-*अंजुमन हो तुम।।
#seematuhaina
*तसव्वुर-ख्याल
*तबस्सुम -मधुर मुस्कान
*अंजुमन-महफिल