*नगरपालिका का कैंप* (कहानी)
नगरपालिका का कैंप (कहानी)
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मेरे घर के सामने नगर पालिका वालों ने कैंप लगा रखा था । मेज कुर्सियाँ बिछी थीं। रजिस्टर रखे थे । बैनर टँगा था –“नगर पालिका आपके द्वार : हाउस टैक्स का भुगतान कीजिए”
लाउडस्पीकर पर भी यही घोषणा की जा रही थी । “जल्दी आइए भाई साहब ! अपने – अपने बकाया हाउस – टैक्स का भुगतान अपने घर के दरवाजे पर कीजिए। कैंप आप के निकट लगा हुआ है ।”
अरे वाह ! मैंने देखा तो मन प्रसन्न हो गया । नगर पालिका के दफ्तर जाने से बच गए । चलो यहीं पर हाउस टैक्स जमा करा देते हैं –मैंने सोचा । पिछले साल की रसीद रखी थी । उसे नगरपालिका के दफ्तर में जाकर जमा किया था । रसीद निकाली और कैंप की तरफ दौड़ता हुआ चला गया । सिर्फ बीच की सड़क की दूरी थी । मुश्किल से एक मिनट लगा ।
“लीजिए भाई साहब ! यह हमारे मकान की पिछले साल की कटी हाउस – टैक्स की रसीद है । अब एक साल की रसीद और काट दीजिए ।”-मैंने पुरानी रसीद कैंप में बैठे हुए सज्जन की ओर बढ़ाते हुए कहा।
“कहाँ का भई ? कौन सा मोहल्ला है?”
“अरे यही ,सामने । आपके कैंप के बिल्कुल ठीक सामने वाला मोहल्ला !”–
सुनकर काउंटर पर बैठा हुआ व्यक्ति सिर खुजलाने लगा । बगल वाले से पूछा – “क्यों भई ! सामने वाले मौहल्ले का रजिस्टर लाए हो ?”
“अरे उसका कहाँ आया है । जल्दी-जल्दी में दो-चार रजिस्टर ही ला पाया ? मना कर दो ।”
” भाई साहब ! सामने वाले मौहल्ले का तो नहीं आया है उसका तो हाउस – टैक्स आपको कार्यालय में जाकर ही जमा कराना होगा।”
”तो कैंप किस लिए लगाया है ?”
“आप तो नाराज हो रहे हैं । किसी और कॉलोनी या मौहल्ले का हाउस-टैक्स हो तो बता दीजिए। हम जमा कर लेंगे ।”
” जब सड़क पार की कॉलोनी का ही हाउस – टैक्स का रजिस्टर आपके पास नहीं है ,तो दूर की कालोनियों वाले यहाँ क्यों आएंगे ? ”
मैं चलने को ही था ,तभी दूर की कॉलोनी के एक सज्जन वहाँ आए । हमारे दफ्तर के ही सहकर्मी थे । मैंने सोचा चलो इनका हाउस – टैक्स जमा होता हुआ देख लें। दूर की कॉलोनी वाले सज्जन ने अपनी
पुरानी रसीद आगे सरकाई और कहा ” एक साल का हाउस टैक्स काट दीजिए ।”
” हाँ ! इस कॉलोनी का रजिस्टर हमारे पास मौजूद है ।”–काउंटर पर बैठे क्लर्क ने दूर की कॉलोनी वाले की तरफ कम, और मेरी तरफ देखकर ज्यादा जवाब दिया। उसका कहने का आशय यह था कि देखो ! हम लोग काम जरूर कर रहे हैं । आप गलतफहमी में मत रहिए।”
पुरानी रसीद देखकर अब उस क्लर्क ने दूर की कॉलोनी वाला रजिस्टर निकाला और मकान नंबर ढूंढने लगा । एक मिनट बाद ही उसका जवाब था “अरे ? आप की तरफ तो पंद्रह सौ रुपए बकाया है।”
” मगर हमारा तो पिछले साल 31 मार्च तक का टैक्स जमा है और यह रसीद भी हम आपको दिखा रहे हैं ।”
“देखिए यह रसीद तो पिछले साल की है । लेकिन जो बकाया है ,वह तो तीन साल पहले का है । वह तो आपको जमा करना ही पड़ेगा ।”
“भाई साहब ! हम हर साल टैक्स जमा करते हैं । हमारे पास आपके कर्मचारी कॉलोनी में आकर टैक्स लेते हैं, रसीद काट कर दे देते हैं । इस बार हमने सोचा कि आपका कैंप इस कॉलोनी के पास लग रहा है तो यहीं आकर जमा कर देते हैं ।”
;देखिए भाई साहब ! हमारे यहाँ तो आपका बकाया निकल रहा है ।वह आपको देना ही होगा ।”
“ऐसे कैसे देना होगा? हम पुरानी रसीदें लेकर आते हैं । आपको दिखाएंगे .”
“हां …तो रसीदें दिखा दीजिए । आपके पास हैं ,तो बहुत अच्छी बात है । हम देख लेंगे ”
वह सज्जन अब मेरी तरफ देख रहे थे। मैंने कहा ” हाँ हांँ…क्यों नहीं ? आप रसीदें ले कर आइए और अभी दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा ।”
वह बोले “मैं अभी दस मिनट में आता हूँ।” – कहकर स्कूटर स्टार्ट किया ..बैठे …[और ठीक दस मिनट में अपने घर से दस साल की हाउस टैक्स अदा की हुई रसीदें लेकर आ गए ।
कैंप के क्लर्क ने रसीदों को उल्टा-पुल्टा । कहा “इन से तो यही पता चल रहा है कि आपने सारा टैक्स जमा करा दिया है। लेकिन हमारे यहाँ जमा नहीं हैं। दरअसल पुराने रजिस्टर हम लाए नहीं हैं । आप कार्यालय आ जाना ,वहाँ पर देख लेंगे ।”
तभी नगरपालिका के एक कर्मचारी टहलते हुए आए और कुर्सी पर आकर बैठ गए । उन्हें देखते ही दूर की कॉलोनी वाले सज्जन कहने लगे ” अरे ! इन्हीं भाई साहब को तो हम हर साल हाउस – टैक्स देते हैं और यह रसीदें भी इन ही के हाथ की कटी हुई हैं। भाई साहब आप बताइए न ! ” दूर की कॉलोनी वाले व्यक्ति ने नवागंतुक नगर पालिका कर्मचारी की ओर देखते हुए कहा।
कर्मचारी सकते में आ गया था। बोला “हां हां… इनका टैक्स हमेशा जमा रहता है । जमा कर लो भाई ! यह सही व्यक्ति हैं।”
दूर की कॉलोनी के निवासी ने कहा “अब मुझे क्या करना है ? आप मेरी रसीद काट कर देंगे अथवा नहीं ?”
काउंटर पर बैठे क्लर्क ने पुराने जवाब को दोहरा दिया ” इसके लिए तो आपको कार्यालय ही आना पड़ेगा ।”
सुनकर हम दोनों निराश होकर अपने- अपने घर की तरफ प्रस्थान करने लगे। लाउडस्पीकर पर घोषणा अभी भी हो रही थी – “नगरपालिका आपके द्वार पर उपस्थित है । हाउस – टैक्स जमा कीजिए।”
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लेखक : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451