धोखे और सलीके
आज समाज आहत !
धोखे से नहीं !
सलीके से आहत है !
चिंता है राम घनश्याम री,
✍️
कथा गाथा
पकडे माथा
प्रकृति अनजान सी
भेष कब से पहचान री,
?
लटा बढाये
वस्त्र रंगाई
चंदन तिलक
व्यर्थ लगाई
वराह कंठ साँस
मनके साथ लाई,
✍?
तीन लोक
तीन युज्
महेन्द्र भूले भाई
जब चाहे उड़
पँख लगाई ?
#जीवन_एक_अभिव्यक्ति
डॉक्टर महेन्द्र सिंह हंस