—-धोखा —-
धोखा,
शब्द है बड़ा अनोखा।
जो हो गया माहिर इसमें,
वह कभी भी चूकता नहीं मौका।
जब भी होती जरा सी गुंजाइश,
दिखा देता है दुनिया को,
अपनी खुराफातों का छक्का चौका।
ईश्वर ही देगा उसे इसका ईनाम कभी,
जी में आए सो करे, किसने है उसको रोका।
———-रंजना माथुर दिनांक 08/07/2017
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना ©