धरती माता का दर्द
सीना छलनी है मेरा, पूरा बदन घायल है
झीनी है चूनर मेरी ,गायब हरियाली है
सिमटे हैं सारे वन, मन ये मेरा खाली है
सूख रहीं नदिया, धार कहीं काली है
खोद रहे सारे पहाड़ ,हवा जहर वाली है
न है रखवाला, ना ही कोई माली है
कैसे मैं रहूं जिंदा, जिंदगी खत्म होने वाली है
मर रहे हैं जलचर ,परिंदे भी जल गए हैं
कैसे रहेगा थल पर व्यथा, मेरी निराली है
सोचो ये पुत्र सोचो, दिल हो रहा है भारी
न पानी है, न हवा है ,मंजर ये क्या बना है
कैसे चलेगी पीढ़ी ,खतरा बड़ा घना है
कैसी थी मेरी सूरत, कैसी ये हो गई है
मत छेड़ अब तो मुझको, हद पार हो गई है
मर जाऊंगी गर मैं भी ,तुम भी तो ना बचोगे
मां का है दर्द बच्चों ,ये दर्द कम करोगे