धरती को कचरे, आसमान धुंए से भर दिया
धरती को कचरे, आसमान धुंए से भर दिया
उपभोक्ता बाद की दीबाली ने, जहर भर दिया
प्लास्टिक पटाखों से, गांव नगर पट गए
सांस संबंधी मरीज,हर जगह बढ़ गए
सुख सादगी शांति, संतोष खो गए
त्यौहार भी उपभोक्ता बादी हो गए
बाहरी चमक दमक, उजाले बढ़ गए
अंतस की खुशी,अपनत्व घट गए
शुभ लाभ हैप्पी, सब बनावटी है
आजकल सबकुछ,फार्मलिटी है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी