धन ही चारो धाम है..
धन हुआ सब कुछ यहाँ ..धन ही चारो धाम हैं
प्यार धन से यार धन से..और धन घनश्याम हैं
सब मशीनी हो गया…. अब नाम का इंसान है
जीतते रावण यहाँ पर…….. हारते अब राम है
ना किसी से कोई मतलब ना किसी से काम है
है यहाँ हालात मुश्किल….. जिंदगी गुमनाम है
दौड़ती है जिंन्दगी…..सरपट यहाँ पर देख लो
ना कही भी चैन है …….ना ही कहीं आराम है
जात धर्मों की डगर ……भटका हुआ संसार है
खूँ बहाना देश में …….देखो हुआ अब आम है
ठोकरें खाता मगर ……..लेता नही वो ज्ञान है
और देखो हो रहा …..किस्मत सदा बदनाम है