Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Oct 2022 · 1 min read

*धन व्यर्थ जो छोड़ के घर-आँगन(घनाक्षरी)*

धन व्यर्थ जो छोड़ के घर-आँगन(घनाक्षरी)
________________________
धन व्यर्थ जो छोड़ के घर-आँगन
परदेस में बिन-सम्मान मिला
वह कोठी क्या वह बॅंगला क्या
माँ को न जहाँ स्थान मिला
वो पद पदवी वो प्रतिष्ठा क्या
अपमान के जो कि समान मिला
“रवि” त्याज्य समाज-सभा वो सभी
जहाँ होता न देश का गान मिला
—————————————-
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

142 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
बेवक्त बारिश होने से ..
बेवक्त बारिश होने से ..
Keshav kishor Kumar
"अकेला"
Dr. Kishan tandon kranti
शिर्डी के साईं बाबा
शिर्डी के साईं बाबा
Sidhartha Mishra
एहसास
एहसास
Shutisha Rajput
श्वासें राधा हुईं प्राण कान्हा हुआ।
श्वासें राधा हुईं प्राण कान्हा हुआ।
Neelam Sharma
हर सांस की गिनती तय है - रूख़सती का भी दिन पहले से है मुक़र्रर
हर सांस की गिनती तय है - रूख़सती का भी दिन पहले से है मुक़र्रर
Atul "Krishn"
लज्जा
लज्जा
Shekhar Chandra Mitra
घर एक मंदिर🌷
घर एक मंदिर🌷
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
मैं तो महज शमशान हूँ
मैं तो महज शमशान हूँ
VINOD CHAUHAN
साहित्य में प्रेम–अंकन के कुछ दलित प्रसंग / MUSAFIR BAITHA
साहित्य में प्रेम–अंकन के कुछ दलित प्रसंग / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
💐अज्ञात के प्रति-133💐
💐अज्ञात के प्रति-133💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
क्यों प्यार है तुमसे इतना
क्यों प्यार है तुमसे इतना
gurudeenverma198
उन सड़कों ने प्रेम जिंदा रखा है
उन सड़कों ने प्रेम जिंदा रखा है
Arun Kumar Yadav
जय श्रीकृष्ण । ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः ।
जय श्रीकृष्ण । ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः ।
Raju Gajbhiye
ये उदास शाम
ये उदास शाम
shabina. Naaz
कल तक जो थे हमारे, अब हो गए विचारे।
कल तक जो थे हमारे, अब हो गए विचारे।
सत्य कुमार प्रेमी
वो कालेज वाले दिन
वो कालेज वाले दिन
Akash Yadav
पता नहीं था शायद
पता नहीं था शायद
Pratibha Pandey
The emotional me and my love
The emotional me and my love
Sukoon
'नव कुंडलिया 'राज' छंद' में रमेशराज के विरोधरस के गीत
'नव कुंडलिया 'राज' छंद' में रमेशराज के विरोधरस के गीत
कवि रमेशराज
हर एक मन्जर पे नजर रखते है..
हर एक मन्जर पे नजर रखते है..
कवि दीपक बवेजा
सबरी के जूठे बेर चखे प्रभु ने उनका उद्धार किया।
सबरी के जूठे बेर चखे प्रभु ने उनका उद्धार किया।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
कविता
कविता
Rambali Mishra
My Expressions
My Expressions
Shyam Sundar Subramanian
बैठकर अब कोई आपकी कहानियाँ नहीं सुनेगा
बैठकर अब कोई आपकी कहानियाँ नहीं सुनेगा
DrLakshman Jha Parimal
शोर से मौन को
शोर से मौन को
Dr fauzia Naseem shad
#शेर
#शेर
*Author प्रणय प्रभात*
राखी की सौगंध
राखी की सौगंध
Dr. Pradeep Kumar Sharma
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
Loading...