धनुर्धर एकलव्य
गुरु द्रोण
नहीं मिले जब,
तब एकलव्य ने
खुद के भीतर
टैलेंट पैदा करके
क्या बुराई की ?
क्या खुद की
प्रतिभा को
बाहर निकालना
अपराध है?
गुरु द्रोण
नहीं मिले जब,
तब एकलव्य ने
खुद के भीतर
टैलेंट पैदा करके
क्या बुराई की ?
क्या खुद की
प्रतिभा को
बाहर निकालना
अपराध है?