*धक्का-मुक्की मच रही, झूले पर हर बार (कुंडलिया)*
धक्का-मुक्की मच रही, झूले पर हर बार (कुंडलिया)
धक्का-मुक्की मच रही, झूले पर हर बार
सावन में झूला लगा, ढूॅंढो किसके द्वार
ढूॅंढो किसके द्वार, डाल पर डाला झूला
जो लेता आनंद, जगत में सब कुछ भूला
कहते रवि कविराय, देखिए रस्सा पक्का
टूटे कहीं न डोर, मिले जब तगड़ा धक्का
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451