द पति
हैंडसम कहो, हसबैंड कहो, पति शौहर, भरतार,
आज के युग में भी पति , पत्नी का करतार।
सारी बातें छोड़ कर एक बात धरो गांठ,
पति है जिसके संग में कोई न उठाएं आंख।
घर के दरवाजे हो उतरे यदि साजन के बूट,
लुच्चे लम्पट शोहदों की हिम्मत जाए टूट।
पति गया परदेश तो जिसे देखो वही लख्खी ।
मंडराए घर के निकट ज्यों मधु पर मधुमक्खी।
स्वावलंबी बन जाओ भले,रुपया खूब कमाओ।
बीसों आँखे टकटके जब भी आओ जाओ।
चांदी कटती चैन से पति की मिले पगार।
चार चांद लग जाते हैं, पति संग करो श्रृंगार।
सब छिप जाते हो अगर चाहे जितने खोट।
कोई चूं तक न करे जब हो पति को ओट।
पति बरगद की छांव है, सोयो टांग पसार।
आज के युग में भी पति, पत्नी का करतार।
-सतीश सृजन, लखनऊ.