Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Apr 2022 · 2 min read

” द्रिग्भ्रमित भेने आलोचना हैत “

( फेसबुक ग्रुप )
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
===============================
एहि सम्पूर्ण परिवेश मे सबहक कार्य क्षेत्र स्वतः निर्धारित कयल गेल अछि आ बहुत गोटे एहनो छथि जे अप्पन -अप्पन कार्यक रुपरेखा स्वयं निर्धारित केने छथि ! माता -पिता ,शिक्षक- शिक्षिका ,छात्र- छात्रा , श्रमिक ,कर्मचारी ,पधाधिकारी ,लेखक, लेखिका ,चिकित्सक ,अभिव्यक्ता, कलाकार ,खिलाडी ,संवाददाता ,संचालक आ अनेको लोकनि अप्पन -अप्पन विभिन्य भूमिका क लेल विख्यात छथि आ स ह्रदय सं जुडल !
कार्यक संपादन मे यदि अकर्मण्यता परिलक्षित हैत त सम्मान क गप्प त रहल कात तिरष्कारक मर्म भेदी बाण क प्रहार सहैत रहू ! जखन इ माप दंड समस्त वर्ग पर लागु होइत अछि तखन कोनो ग्रुप क नेतृत्व किया छुटल रहता ? फेसबुक क उद्भव क उपरांत एडमिन आ मोडरेटर कतो-कतो प्रजातांत्रिक मर्यादा भूलि जाइत छथि !
साहित्यक श्रृजन ..कविता रचना …लेख लेखनी आ विचार क अभिव्यक्ति सकारात्मक श्रृंगार सं सजाऔल प्रायः -प्रायः पाठक वृन्द कें मन मोहि लेत अछि ! आपार जनसमूह करतल ध्वनि सं हिनका स्वागत करैत छथि ! …श्रेष्ठ लोकनि हुनक ढाढस बंधबैत छथि …समतुल्य लोकनि अप्पन सकारात्मक टिप्पणी सं एकटा नविन मार्ग प्रसस्थ करैत छथि….नवतुरिया लोकनि कें मध्य एकटाअद्भुत स्फूर्ति क सञ्चालन होइत अछि ! नविन प्रेरणा आ उत्साह क संचार होइत अछि !….
परंच राजनीति विचारधारा सदेव विवादित बुझना गेल अछि ! सब गोटे कोनो न कोनो विचारधारा सं जुडल छथि ! अप्पन व्यथा ..अप्पन अनुभव ,,,अप्पन प्रतिक्रिया लिखि एकटा आनंदक अनुभव करैत छथि !…मुदा तकर विवेचना क लेल अनेको रंगमंच बनल अछि !
साहित्यक चर्चा कें लेल सजाओल रंगमंच पर नटुआ नृत्यक प्रदर्शन अशोभनीय मानल जाइत !..ताहि लेल हम सब सजग रहि ! पारदर्शिता ,नियम ,प्रजातान्त्रिक परिवेश ,सामंजस्यपूर्ण निर्भरता ,सबहक विचारक मान्यता….. कोनो समूह ,…कोनो संगठन ..अथवा ग्रुपक लेल स्तंभ मानल जाइत अछि !
मुदा ग्रुप क उदेश्य प्रायः प्रायः मलिन भS जाइत अछि आ एडमिन आ मोद्रटर क कर्तव्य बुझु गौण भS गेल छनि ! जहिना भारतीय टीवी न्यूज़ चैनल अप्पन टी ० आर ० पी० क लेल कठिन परिश्रम करैत अछि तहिना फेसबुक क ग्रुप एहि प्रतियोगिता मे लागि जाइत छथि !
कियो -कियो श्रेष्ठ लोकनि कतार मे लागल छथि अप्पन -अप्पन रचना नेने ! प्रतीक्षा क रहल छथि हमर सन्देश ग्रुप क समक्ष राखल जाऊ परंच राखल अछि अप्रूवल वला कोठी मे ! ताधरि नटुआ नृत्य देखैत रहू ! जखन एडमिन आ मोद्रटर कोनो ग्रुप क नेतृत्व करैत छथि त हुनका नेपोलिअन क नेतृत्व हेबाक चाहि ! संगठन आ समूह मे जे छथि सबकें संग ल कें चलबाक चाहि नहि त तानाशाही भंगिमा बुझल जाइत !
हमरा सबकें ह्रदय सं जुडबाक लेल प्रयास करबाक चाहि अन्यथा हम अप्पन उदेश्य सS डगमगा जायब !
======================
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
दुमका
झारखंड
भारत

Language: Maithili
94 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
महापुरुषों की सीख
महापुरुषों की सीख
Dr. Pradeep Kumar Sharma
आँखों में सुरमा, जब लगातीं हों तुम
आँखों में सुरमा, जब लगातीं हों तुम
The_dk_poetry
#तुम्हारा अभागा
#तुम्हारा अभागा
Amulyaa Ratan
हिंदी
हिंदी
Mamta Rani
✍️दोस्ती ✍️
✍️दोस्ती ✍️
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
"एक शोर है"
Lohit Tamta
__________________
__________________
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
इन तन्हाइयों में तुम्हारी याद आएगी
इन तन्हाइयों में तुम्हारी याद आएगी
Ram Krishan Rastogi
यदि आप अपनी असफलता से संतुष्ट हैं
यदि आप अपनी असफलता से संतुष्ट हैं
Paras Nath Jha
कभी-कभी दिल को भी अपडेट कर लिया करो .......
कभी-कभी दिल को भी अपडेट कर लिया करो .......
shabina. Naaz
तुम जो हमको छोड़ चले,
तुम जो हमको छोड़ चले,
कृष्णकांत गुर्जर
"आज का दौर"
Dr. Kishan tandon kranti
होली के त्यौहार पर तीन कुण्डलिया
होली के त्यौहार पर तीन कुण्डलिया
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
शिव स्तुति
शिव स्तुति
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
🙅बड़ा सच🙅
🙅बड़ा सच🙅
*Author प्रणय प्रभात*
🇮🇳🇮🇳*
🇮🇳🇮🇳*"तिरंगा झंडा"* 🇮🇳🇮🇳
Shashi kala vyas
Shabdo ko adhro par rakh ke dekh
Shabdo ko adhro par rakh ke dekh
Sakshi Tripathi
अच्छा स्वस्थ स्वच्छ विचार ही आपको आत्मनिर्भर बनाते है।
अच्छा स्वस्थ स्वच्छ विचार ही आपको आत्मनिर्भर बनाते है।
Rj Anand Prajapati
राम जपन क्यों छोड़ दिया
राम जपन क्यों छोड़ दिया
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
दोहा
दोहा
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
2908.*पूर्णिका*
2908.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
घर बाहर जूझती महिलाएं(A poem for all working women)
घर बाहर जूझती महिलाएं(A poem for all working women)
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
बचपन के दिन
बचपन के दिन
Surinder blackpen
उल्लास
उल्लास
Pt. Brajesh Kumar Nayak
विषय
विषय
Rituraj shivem verma
हो मेहनत सच्चे दिल से,अक्सर परिणाम बदल जाते हैं
हो मेहनत सच्चे दिल से,अक्सर परिणाम बदल जाते हैं
पूर्वार्थ
किसी पत्थर की मूरत से आप प्यार करें, यह वाजिब है, मगर, किसी
किसी पत्थर की मूरत से आप प्यार करें, यह वाजिब है, मगर, किसी
Dr MusafiR BaithA
जन्मदिन विशेष : अशोक जयंती
जन्मदिन विशेष : अशोक जयंती
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
धनतेरस जुआ कदापि न खेलें
धनतेरस जुआ कदापि न खेलें
कवि रमेशराज
Loading...