दो वक्त के निवाले ने मजदूर बना दिया
बेरोजगारी ने शिक्षित को मजबूर बना दिया
दो वक्त के निवाले ने मजदूर बना दिया
सोचता हूँ आज
क्यों दब गई आवाज
रुठी कलम नाराज हमसे कायदा हुआ
शिक्षित होना आज देखो बेफायदा हुआ
गुरूर था जिस शिक्षा पे बेनूर बना दिया
दो वक्त के निवाले ने मजदूर
देखता हूँ आज
बदला है क्यों समाज
अपने थे जो वे हाथ छुड़ाने लगे सभी
मजबूरियाँ अपनी ही गिनाने लगे सभी
बहाना कहूँ या उन्होने दस्तूर बना लिया
दो वक्त के निवाले ने मजदूर
पूछता हूँ आज
अ खुदा तेरा अंदाज
‘V9द’ मारा-मारा फिरे वे हैं आराम से
खेलता है खेल क्यों किस्मत के नाम पे
कंकर किसी को तुने कोहिनूर बना दिया
दो वक्त के निवाले ने मजदूर
स्वरचित
V9द चौहान