दोहों के शौकीन पढ़ें.. मेरी कलम से निकले कुछ दोहे
1.
नफरत पलभर की चले ……..क्रोध के संग,
परमाणु सम अति सुक्ष्म है मार करे अतिदूर.
2.
आतम तेरा नेह नहीं …..इस देह के संग,
तेरा प्रवाह नदी सम खोज़ै सागर को संग.
3.
वो दिन तेर है जा दिन जड़ चेतन पहचान,
चितवन में संसार बसे ..यो घर तेरो नाय .।
4.
यो जग पाखंड को घर हुयो नहीं जीवंत की पहचान,
पत्थर की सुरक्षा करैं असुरक्षित बहन बेटी की लाज.।
5.
या तन को तू विरोध करे हठ करै सब ओर,
या मन को अवसा नहीं सब उत्पीड़न को मूल.
6.
ठीक से करो कुछ उपाय,
छोड़कर
झूठी शान और पहचान.
जीवित तो शर्मिंदा हुआ,
पुतलों का बढ़ा व्यापार.
~डॉ_महेन्द्र