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2 Oct 2024 · 1 min read

दोहे

गांधी और लालबहादुर शास्त्री (दोहे)

गांधी- शास्त्री दिव्य धन,दोनों भारत रत्न।
राष्ट्रवाद के हेतु वे ,करते रहे प्रयत्न।।

इक आजादी के लिए,किया सदा संघर्ष।
इक भारत को ले गया, अतिशय शीर्ष सहर्ष।।

एक अहिंसा-सत्य का,करता रहा प्रचार।
एक कठिनतम राह पर,करता रहा प्रहार।।

एक लड़ा अंग्रेज से,लिया भगाकर श्वांस।
एक गरीबी से लड़ा,रहा कृषक के पास।।

सहज स्वदेशी भाव में,दोनों मूर्ति महान।
एक स्वदेशी वस्त्र की,एक अन्न की खान।।

महिमामंडित उभय हैं,नहिं कुछ बड़ा न छोट।
एक लंगोटी पहनता,एक दिलाता रोट।।

भारत के दिल में रचे, अनुपम बसे महान।
सच्चाई- ईमान के,दोनों वीर सुजान।।

काव्य रत्न डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।

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