दोहे
अधिकार
सोच समझ उपयोग ला, सुंदर ये हथियार ।
काम छोड़ मतदान कर, तेरा है अधिकार ।।
छीन सके अधिकार नहिँ, कोई भी इंसान ।
करो निडर मतदान तुम, नेता को पहचान ।।
मूल भूत अधिकार है, जाए नहिँ बेकार ।
पूर्ण करो कर्तव्य को, हो सपने साकार।।
दागदार सरकार क्यों, अवसर कर बदलाव।
सही चयन प्रस्ताव कर,होगा नहिँ पछताव ।।
देश बने अधिकार से, जीवन हो खुशहाल ।
सुखी बसे परिवार भी, जाए मिट जंजाल ।।
सीमा शर्मा “अंशु”