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29 Sep 2024 · 1 min read

दोहे

अधिकार

सोच समझ उपयोग ला, सुंदर ये हथियार ।
काम छोड़ मतदान कर, तेरा है अधिकार ।।

छीन सके अधिकार नहिँ, कोई भी इंसान ।
करो निडर मतदान तुम, नेता को पहचान ।।

मूल भूत अधिकार है, जाए नहिँ बेकार ।
पूर्ण करो कर्तव्य को, हो सपने साकार।।

दागदार सरकार क्यों, अवसर कर बदलाव।
सही चयन प्रस्ताव कर,होगा नहिँ पछताव ।।

देश बने अधिकार से, जीवन हो खुशहाल ।
सुखी बसे परिवार भी, जाए मिट जंजाल ।।

सीमा शर्मा “अंशु”

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