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3 Aug 2024 · 1 min read

दोहे

दोहे

सदा बने अभ्यास से,जीवन का हर काम।
मिल जाता चलते चलत,उत्तम दिव्य मुकाम।।

सतत साधना जो करे,पाए वह गंतव्य।
साध सको तो साध लो,यह असली मंतव्य।।

युद्ध भूमि है जिंदगी,करते जा अभ्यास।
कर्मपंथ पर चल सदा,फल का हो अहसास।।

कर्मों के अभ्यास से,मानव बने सुजान।
जड़मति होता एक दिन,निश्चित ही विद्वान।।

कुंठित मन भी सहज ही,होता चेतनशील।
सदा सुखद सत्कर्म की,परिणति उन्नतिशील।।

साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।

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