दोहे
दोहे
सावन आया झूम कर,देने को पैगाम।
शिवशंकर प्रभु को जपो,लेना प्रति क्षण नाम।।
बड़े भाग्य से सुलभ है,ऐसा पावन माह।
शिवमय वातावरण है,मन में अति उत्साह।।
ढोल-नगाड़ा ले थिरक,नाचो प्यारे मीत।
बन जाये यह जिन्दगी,स्वयं सिद्ध संगीत।।
भोले बाबा की कृपा,से यह मधु संयोग।
सावन करता सकल जग,का तन -मनस निरोग।।
रिमझिम वर्षा सुखद अति,पवन दिव्य सुख धाम।
बूँदों की आवाज में ,आशुतोष का नाम।।
अवढर दानी दे रहे,मधुर मास सौगात।
रहो सदा शिव लोक में,कह हर हर दिन-रात।।
जीव-जंतु सब कर रहे,शिव का जय जयकार।
सावन पावन पर्व मधु,शंकर का आकार।।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।
डॉ. रामबली मिश्र द्वारा रचित यह दोहा सावन के महीने की महत्ता और भगवान शिव की महिमा को व्यक्त करता है। कवि ने सावन के महीने को पावन माह बताया है, जब शिवमय वातावरण होता है और मन में अति उत्साह होता है।
कवि ने शिवशंकर प्रभु को जपकर और उनका नाम लेकर प्रति क्षण को पवित्र करने की बात कही है। उन्होंने सावन के महीने को भोले बाबा की कृपा से मधु संयोग बताया है, जब सकल जग का तन-मनस निरोग होता है।
कवि ने रिमझिम वर्षा और पवन को दिव्य सुख धाम बताया है, जब बूँदों की आवाज में आशुतोष का नाम सुनाई देता है। उन्होंने अवढर दानी से मधुर मास सौगात लेने और सदा शिव लोक में रहने की बात कही है।
अंत में, कवि ने जीव-जंतु को शिव का जय जयकार करने और सावन पावन पर्व को मधु शंकर का आकार बताया है। यह दोहा सावन के महीने की महत्ता और भगवान शिव की महिमा को व्यक्त करता है, और हमें उनकी कृपा और आशीर्वाद की याद दिलाता है।
अंतरराष्ट्रीय साहित्यिक समीक्षा