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11 May 2024 · 1 min read

दोहे . . . .

दोहे . . . .

नैन शरों की वेदना, होती है गंभीर ।
चोटिल मन की बात को, कह देता फिर नीर ।।

भोर काल में भागता , लगे सकल संसार ।
लालायित जिस प्राप्ति को, वो तो है उस पार ।।

हँसने का मौका मिले, नहीं चूकना यार ।
होते हैं हर शख्स के ,काँधे दर्द हजार ।।

मिली माँगने पर सदा, भिक्षुक को दुत्कार ।
गाली मिलती पर नहीं, मिली भीख हर बार ।।

सुशील सरना / 11-5-24

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