दोहे-2 | मोहित नेगी मुंतज़िर
सड़क बनेगी गांव तक, ख़्वाब संजोये लोग
मगर बजट तो चढ़ गया , अभियंता को भोग ।
इस पर है फ़ाइल अभी , उस पर हैं अधिकार
पांच बरस कब के गए ,चली गई सरकार।
गर्मी के आगोश में, सूख रहे हैं प्राण
आज बरस जा सांवरे, कहना मेरा मान।
अपने मतलब के लिये, नतमस्तक हैं लोग
उगते सूरज को सभी, लगा रहे हैं भोग।
बईमानी करते हुए, उम्र गई है बीत
हम को मत सिखलाइये,आप जगत की रीत।