दोहा- सरस्वती
बुंदेली दोहा विषय – सरसुती
#राना कातइ सरसुती , सबकी मैया आँय |
बीना लैकें हात में , ग्यान हमें सिखलाँय ||
बैठ हंस बीना लयै ,धुतिया फक्क सपेत |
पौथी थामै सरसुती , #राना अक्कल देत ||
#राना करतइ कामना , दैव सरसुती ग्यान |
बुंदेली भाषा करैं , मिल जुरकैं उत्थान ||
ब्रम्हा की बिटिया बनी , ब्रम्हपुरी में वास |
नाम सुरसती जानतइ ,#राना तकत उजास ||
जय बुंदेली है पटल , दैव सरसुती ध्यान |
जुड़ौ नाम साहित्य है , #राना करतइ गान ||
रयी सरसुती की कृपा , जुर गय #राना मित्र |
बुंदेली भाषा बनै , सब भाषन में इत्र ||
#राना भी मेनत करत , दैत सबइ है संग |
माइ सरसुती भी भरैं , सबखौं नयी उमंग ||
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✍️ राजीव नामदेव “राना लिधौरी” टीकमगढ़
संपादक “आकांक्षा” पत्रिका
संपादक- ‘अनुश्रुति’ त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
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