दोहा षष्ठ. . . . अर्थ
दोहा षष्ठ. . . . अर्थ
देखो कितना दूर अब ,आँखों का है नूर ।
बदले इस परिवेश में, ममता है मजबूर ।।
वर्तमान ने दे दिया, माना धन भरपूर ।
लेकिन कितना कर दिया, मिलने से मजबूर ।।
धन अर्जन करने चला, सात समंदर पार ।
मजबूरी ने कर दिया, सूना घर संसार ।।
बाँध टकटकी द्वार पर, रोज निहारे राह ।
नैनों से अविरल बहे, उस बेटे की चाह ।।
दो रोटी तो देश में, मिल जाती पर लाल ।
चला कमाने ढेर धन, तोड़ मोह का जाल ।।
सात समन्दर पार का, दिन दिन बढता मोह ।
चले कमाने अर्थ फिर , कर अपनों से द्रोह ।
सुशील सरना / 29-12-24