दोहा – शीत
ठंड पोष की झेलना , मुश्किल है श्रीमान ।
उस पर ठंडी ओस में, थर – थर काँपे जान ।।
सूरज को भी लग रही, इस मौसम में ठण्ड ।
उस पर तेवर धुंध के, कितने हुए प्रचंड ।।
सुशील सरना / 2-1-24
ठंड पोष की झेलना , मुश्किल है श्रीमान ।
उस पर ठंडी ओस में, थर – थर काँपे जान ।।
सूरज को भी लग रही, इस मौसम में ठण्ड ।
उस पर तेवर धुंध के, कितने हुए प्रचंड ।।
सुशील सरना / 2-1-24