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2 Jan 2024 · 1 min read

दोहा – शीत

ठंड पोष की झेलना , मुश्किल है श्रीमान ।
उस पर ठंडी ओस में, थर – थर काँपे जान ।।

सूरज को भी लग रही, इस मौसम में ठण्ड ।
उस पर तेवर धुंध के, कितने हुए प्रचंड ।।

सुशील सरना / 2-1-24

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