दोहा पंचक. .
दोहा पंचक. .
अभिव्यक्ति को दे रहे, नैन नया आयाम ।
अन्तस के संग्राम का, दृग जल है परिणाम ।।
साजन से क्या-क्या हुए, बोल सखी संवाद ।
कब कपोल पर प्रीति के , चरम हुए आबाद ।।
जाने कितनी शेष है, अन्तस में वो बात ।
जिसकी खातिर जिंदगी, जागी सारी रात ।।
जीनी है जो जिंदगी, सुख से मेरे यार ।
छोटी-छोटी बात की , भूलो हर तकरार ।।
नफरत से होता नहीं, नफरत का उपचार ।
भूलो हर तकरार को, यह जीवन का सार।
सुशील सरना / 3-11-24