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13 Nov 2024 · 1 min read

दोहा पंचक. . . विविध

दोहा पंचक. . . विविध

सम्बोधन से हो गया, मधु शब्दों का लोप ।
सम्बन्धों को लीलता, शब्द शरों का कोप ।।

परिवर्तन हर क्षेत्र में, करता नव संचार ।
जीवन के इस सत्य को, सहज करो स्वीकार ।।

सोच समझकर थामना, हमदर्दों का हाथ ।
बीच राह में छोड़ते, छद्मी अपना साथ ।।

जिसको देखो आजकल, देता है उपदेश ।
अर्थ न जाने सत्य का, बन बैठा दरवेश ।।

विश्लेषण किसने किया, घटित हुई क्यों भूल ।
कारण अनदेखा किया, भ्रम की हटी न धूल ।।

सुशील सरना / 13-11-24

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