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19 Nov 2024 · 1 min read

दोहा पंचक. . . . मतभेद

दोहा पंचक. . . . मतभेद

इतना भी मत दीजिए, मतभेदों को तूल ।
चाट न ले दीमक सभी , रिश्ते कहीं समूल ।।

मतभेदों को भूलकर, प्रेम करो जीवंत ।
एक यही माधुर्य बस , रहे श्वांस पर्यन्त ।।

रिश्तों के माधुर्य में , बैरी हैं मतभेद ।
सम्बन्धों का टूटना, मन में भरता खेद ।।

मतभेदों की किर्चियाँ, चुभतीं जैसे शूल ।
सम्बन्धों के नाश का, है यह कारण मूल ।।

जितना जल्दी भूलते , मतभेदों को लोग ।
जीवन के आनन्द का, उतना करते भोग ।।

सुशील सरना / 19-11-24

1 Like · 2 Comments · 29 Views

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