दोहा पंचक. . . नैन
दोहा पंचक. . . नैन
नैन द्वन्द्व में नैन ही , गए नैन से हार ।
नैनों को अच्छी लगे, नैनों से तकरार ।।
नैनों से तकरार का, लगे अजब आनन्द ।
हृदय पृष्ठ पर प्रीत के, अंकित होते छन्द ।।
नैनों के संवाद की, अद्भुत होती नाद ।
नैन सुनें बस नैन के, अनबोले संवाद ।।
नैनों से होती सदा, मौन सुरों में बात ।
नैनों की मनुहार में, बीते सारी रात ।
नैनों के संसार की, किसने पायी थाह ।
नैन तीर पर हो सदा, लक्षित मन की चाह ।।
सुशील सरना / 3-2-24